उस ने तस्वीर इक बनाई है उस के हाथों में रौशनाई है जेल का दायरा बढ़ा देना ये नए दौर की रिहाई है मुझ को अंजाम पर भरोसा है ये अज़िय्यत तो इब्तिदाई है हम तो सौदे में जान दे देते उस ने क़ीमत बड़ी लगाई है एक खिड़की जो धूप देती है पेड़ को काट कर बनाई है मेरी उल्फ़त में कोई शक्ल नहीं ये मोहब्बत की पारसाई है