उठो गले से लिपट जाओ फिर निखर लेना तमाम रात पड़ी है बनाव कर लेना ये लोटना ये मिरा दर्द याद कर लेना कभी कभी तो कलेजे पे हाथ धर लेना हमारे साथ है तेरा भी इम्तिहाँ ऐ तीर तड़प के दिल जो निकल जाए तो जिगर लेना डरे तो कट न सकेगा कभी गला मेरा यही ख़ुशी हो तो आँखों पे हाथ धर लेना गुनाहगार पे यारब नुज़ूल-ए-रहमत कर तिरा ख़ज़ाना जो ख़ाली हो मुझ से भर लेना 'बहार' रोज़ ये कम-बख़्त मुँह को आता है किधर चला है मिरा दिल ज़रा ख़बर लेना