वादा-ओ-क़ौल-ओ-क़सम ने मुझे जीने न दिया क्या सितम है कि करम ने मुझे जीने न दिया दिल तो आमादा-ए-ग़म था ब-ईं बर्बादी-ए-जाँ मगर अंदाज़ा-ए-ग़म ने मुझे जीने न दिया नाज़-बरदार-ए-सवाल-ए-दिल-ए-पुर-ख़ूँ न मिला कासा-ए-दीदा-ए-नम ने मुझे जीने न दिया तू जफ़ा-पेशा है किस मुँह से कहूँ दुनिया से अपनी चाहत के भरम ने मुझे जीने न दिया एक नादीदा ख़ुदा ने मिरे नाले न सुने एक पत्थर के सनम ने मुझे जीने न दिया एक साए का करम है तपिश-ए-जाँ पे हनूज़ एक दीवार के ख़म ने मुझे जीने न दिया शे'र लिखता हूँ कि तक़दीर-ए-तमन्ना ऐ 'शाज़' हुनर-ए-लौह-ओ-क़लम ने मुझे जीने न दिया