वादे की जो साअत दम-ए-कुश्तन है हमारा जो दोस्त हमारा है सो दुश्मन है हमारा ये काह-ए-रुबा से भी हैं कम ऐ कशिश-ए-दिल मज़कूर कुछ ऐसा पस-ए-चिलमन है हमारा अफ़्सोस मू-ए-शम-ए-शब-ए-वस्ल की मानिंद जो क़हक़हा शादी है सो शेवन है हमारा महताब का क्या रंग किया दूद-ए-फ़ुग़ाँ ने अहवाल शब-ए-तार से रौशन है हमारा देता नहीं उस ज़ोफ़ पे भी जोश-ए-जुनूँ चैन हर रेग-ए-रवाँ दश्त में तौसन है हमारा तफ़रीह न क्यूँकर हो हवा आ नहीं सकती गोया दर ओ दीवार नशेमन है हमारा गर पास है लोगों का तो आ जा कि क़लक़ से है लाश कहीं और कहीं मदफ़न है हमारा जज़्ब-ए-दिल उसे खींच के लाए तो कहाँ लाए जो ग़ैर का घर है वही मस्कन है हमारा बुत-ख़ाने से काबे को चले रश्क के मारे 'मोमिन' ख़िज़्र-ए-राह बरहमन है हमारा