वक़्त रखता है जो सँभाल के लोग ढूँड कर ला वही कमाल के लोग तू ने देखा जुनूँ के मेले में कितने शैदाई थे धमाल के लोग काश मर जाए तू उरूज में ही मुंतज़िर हैं तिरे ज़वाल के लोग मर गए आप घुप अंधेरे में चाँद तेरी तरफ़ उछाल के लोग याद की ख़ुश्क झील में अक्सर बैठे रहते हैं पाँव डाल के लोग तेरे दुख में शरीक होने को ख़ुद को लाए हैं ग़म में ढाल के लोग मुब्तला-ए-हज़ार-ग़म हूँ मगर हँस के मिलते हैं ख़ानेवाल के लोग