वक़्त-बे-वक़्त दिलबरी करना तुम से सीखा है बस यही करना तेरी आँखों तेरे चेहरे को भर के आँखों में रौशनी करना उस से पूछूँ वफ़ा का जो मतलब मुझ से कहता है शाइ'री करना दर-ब-दर हो के चाँद ने जाना कैसा लगता है चाँदनी करना कितना मुश्किल है देखो जीने में साँस लेने को ज़िंदगी करना