वापस जो नहीं आएगा में वो सफ़री हूँ ऐ दोस्त गले लग कि चराग़-ए-सहरी हूँ ऐ हुस्न ये अंदाज़-ओ-अदा तुझ में कहाँ थे मैं तेरे लिए आईना-ए-इश्वा-गरी हूँ बढ़ती हुई तहरीक-ए-सियासत मुझे समझो एलान-ए-बग़ावत पए बेदाद-गरी हूँ दुनिया के लिए जो है उजालों का पयम्बर ज़ुल्मत-कदा-ए-शब में वो नज्म-ए-सहरी हूँ रंगीनी-ओ-ख़ुश-पैरहनी है मिरे दम से गुलशन में कली तुम में नसीम-ए-सहरी हूँ हैरत से न क्यूँ देखे मुझे सारा ज़माना पर्वरदा-ए-आग़ोश-ए-कमाल-ए-बशरी हूँ तुम भी हो अदाओं की कशाकश में गिरफ़्तार क्या फ़िक्र जो मैं क़ैदी-ए-आशुफ़्ता-सरी हूँ