वस्फ़ जो आप से जुड़ा होगा हू-ब-हू हुक्म-ए-किब्रिया होगा आ कि दिखलाऊँ रक़्स पानी का इक भँवर अब भी नाचता होगा कर्गस-ए-इश्क़ नोचता है बदन हुस्न पामाल हो गया होगा दर्द ने दिल की परवरिश की है दर्द ही शेर से अदा होगा हाजत-ए-फ़स्ल-ए-गुल नहीं 'फ़ैसल' दिल ये ख़ुद-रौ कि फिर उगा होगा