वीराँ वीराँ बाम-ओ-दर मैं और मिरी तन्हाई तारीकी में डूबा घर मैं और मिरी तन्हाई उस के क़द की ख़ाल-ओ-ख़द की सूरत की सीरत की बातें करते हैं शब भर मैं और मिरी तन्हाई जाने किस दिन वो आ जाए बाँटे प्यार असासे दरवाज़ा कश्कोल नज़र मैं और मिरी तन्हाई हिज्र-रुतों के ख़ामोशी के दिल की बेताबी के हैं इक मुद्दत से ख़ूगर मैं और मिरी तन्हाई दर्द समुंदर में 'अरशद' थीं शिद्दत-ए-ग़म की लहरें डूब रहे थे बीच भँवर मैं और मिरी तन्हाई