वीराने बाग़ बाग़ हैं मेरी निगाह से ज़र्रात शब-ए-चराग़ हैं मेरी निगाह से मेरी नज़र शुआ जिगर-सोज़-ओ-जाँ-गुदाज़ रौशन दिलों के दाग़ हैं मेरी निगाह से है किस क़दर हसीन ये तस्वीर-ए-काएनात ख़ुश-रंग बाग़-ओ-राग़ हैं मेरी निगाह से साक़ी की चश्म-ए-मस्त पे इल्ज़ाम आ न जाए लबरेज़ सब अयाग़ हैं मेरी निगाह से वो बे-नियाज़-ए-दर्द-ओ-ग़म-ए-ज़िंदगी 'नियाज़' वो लोग बा-फ़राग़ हैं मेरी निगाह से