वो आसमाँ है तो हो मैं ज़मीन हूँ ख़ुश हूँ अना के शहर में जब से मकीन हूँ ख़ुश हूँ ये जानती हूँ के रहते हैं साँप इस में मगर अभी भी पहने वही आस्तीन हूँ ख़ुश हूँ ख़िज़ाँ के दश्त में जश्न-ए-बहार भी होगा न जाने किस लिए यूँ पुर-यक़ीन हूँ ख़ुश हूँ सुना है छोड़ के मुझ को वो कुछ उदास सा है मैं उस की याद की अब तक अमीन हूँ ख़ुश हूँ ज़माना ज़ाहिरी सूरत में ऐब ढूँढता है मुझे गुमाँ है कि दिल से हसीन हूँ ख़ुश हूँ वो आफ़्ताब है चर्चा है चार सू उस का मैं इक चराग़ हूँ गोशा-नशीन हूँ ख़ुश हूँ 'हिना' पे रंग-ए-इबादत फ़क़त ख़ुदा का रहा वो सज्दा-रेज़ मुनव्वर-जबीन हूँ ख़ुश हूँ