वो और मोहब्बत से मुझे देख रहा हो क्या दिल का भरोसा मुझे धोका ही हुआ हो होगा कोई इस दिल सा भी दीवाना कि जिस ने ख़ुद आग लगाई हो बुझाने भी चला हो इक नींद का झोंका शब-ए-ग़म आ तो गया था अब वो तिरे दामन की हवा हो कि सबा हो दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहता शायद ही कभी मैं ने तुझे याद किया हो 'ज़ेब' आज है बे-कैफ़ सा क्यूँ चाँद न जाने जैसे कोई टूटा हुआ पैमाना पड़ा हो