वो बातें तिरी वो फ़साने तिरे शगुफ़्ता शगुफ़्ता बहाने तिरे बस इक दाग़-ए-सज्दा मिरी काएनात जबीनें तिरी आस्ताने तिरे मज़ालिम तिरे आफ़ियत-आफ़रीं मरासिम सुहाने सुहाने तिरे फ़क़ीरों की झोली न होगी तही हैं भरपूर जब तक ख़ज़ाने तिरे दिलों को जराहत का लुत्फ़ आ गया लगे हैं कुछ ऐसे निशाने तिरे असीरों की दौलत असीरी का ग़म नए दाम तेरे पुराने तिरे बस इक ज़ख़्म-ए-नज़्ज़ारा हिस्सा मिरा बहारें तिरी आशियाने तिरे फ़क़ीरों का जमघट घड़ी-दो-घड़ी शराबें तिरी बादा-ख़ाने तिरे ज़मीर-ए-सदफ़ में किरन का मक़ाम अनोखे अनोखे ठिकाने तिरे बहार ओ ख़िज़ाँ कम-निगाहों के वहम बुरे या भले सब ज़माने तिरे 'अदम' भी है तेरा हिकायत-कदा कहाँ तक गए हैं फ़साने तिरे