वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे मैं तुझ को भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे रहेगा साथ तिरा प्यार ज़िंदगी बन कर ये और बात मिरी ज़िंदगी वफ़ा न करे ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे सुना है उस को मोहब्बत दुआएँ देती है जो दिल पे चोट तो खाए मगर गिला न करे अगर वफ़ा पे भरोसा रहे न दुनिया को तो कोई शख़्स मोहब्बत का हौसला न करे बुझा दिया है नसीबों ने मेरे प्यार का चाँद कोई दिया मिरी पलकों पे अब जला न करे ज़माना देख चुका है परख चुका है इसे 'क़तील' जान से जाए पर इल्तिजा न करे