वो एक शख़्स जो आँसू बहाने वाला है तमाम शहर की ख़ुशियाँ चराने वाला है अभी मैं देख के आई हूँ उस की आँख को तुम्हारे शहर में सैलाब आने वाला है तुम्हारी आँखों पे जाऊँ कि हँसते होंटों पर तुम्हारा ढंग समझ में न आने वाला है कहाँ हैं दूध की नहरें निकालने वाले यहाँ तो जो भी है बातें बनाने वाला है मैं ख़ुश बहुत हूँ कि सूरज निकल रहा है 'क़मर' मगर वो वक़्त जो फूलों पे आने वाला है