वो जल्वा-गह-ए-नाज़ है या बज़्म-ए-तूर है हर एक ज़र्रा रू-कश-ए-दुनिया-ए-नूर है इन ख़ुद-नुमाइयों पे भी महरूमियाँ अजब ऐ चश्म-ए-ना-मुराद ये तेरा क़ुसूर है अल्लाह रे इम्बिसात-ए-तमाशा-ए-हुस्न-ए-दोस्त दुनिया असीर-ए-मौजा-ए-बहर-ए-सुरूर है मायूस हो न दिल किसी उमीद-वार का ऐ हुस्न-ए-बे-नियाज़ तरह्हुम ज़रूर है नैरंगी-ए-कमाल-ए-मोहब्बत तो देखिए मूसा हरीफ़-ए-जल्वा-ए-लैला-ए-तूर है मैं और ताब-ए-जलवा-ए-बर्क़-ए-जमाल-ए-यार ऐ अक़्ल-ए-हर्ज़ा-कार सरासर फ़ुतूर है रंगीनियों में ग़र्क़ है क्यों बज़्म-ए-काएनात अल्लाह कौन जल्वा-ए-तराज़-ए-ज़ुहूर है इस दुश्मन-ए-वफ़ा से है उम्मीद-ए-इल्तिफ़ात 'रज़्मी' ये क्या ख़याल है कुछ भी शुऊ'र है