वो जिस का नाम इस दिल पर लिखाया है उसी से राज़ मैं ने ये छुपाया है बहुत मग़रूर है वो माना ये लेकिन दवा उस को ही मैं ने भी बनाया है यक़ीं है ख़त आ जाएगा कभी उस का यूँ अपना हौसला मैं ने बढ़ाया है समझता है मोहब्बत को जो बे-मआ'नी इसी का ख़्वाब इस दिल में सजाया है वफ़ा इक़रार उल्फ़त दोस्ती सच हैं नगर में झूठ ये किस ने उड़ाया है ख़ुदा हैरान है इंसान पर अब क्यों जगह पर उस की दौलत को बिठाया है है रोकी मौत 'क़ासिद' के लिए मैं ने कहाँ ये वक़्त उस ने अब लगाया है