वो जो लोग अहल-ए-कमाल थे वो कहाँ गए वो जो आप अपनी मिसाल थे वो कहाँ गए मिरे दिल में रह गई सिर्फ़ हैरत-ए-आइना वो जो नक़्श थे ख़द-ओ-ख़ाल थे वो कहाँ गए गिरी आसमाँ से तो ख़ाक ख़ाक में आ मिली कभी ख़ाक में पर-ओ-बाल थे वो कहाँ गए सर-ए-जाँ ये क्यूँ फ़क़त एक शाम ठहर गई शब-ओ-रोज़ थे मह-ओ-साल थे वो कहाँ गए मिरे ज़ेहन का ये शजर उदास उदास है वो जो ताइरान-ए-ख़याल थे वो कहाँ गए