वो किसी भी अक्स-ए-जमाल में नहीं आएगा वो जवाब है तो सवाल में नहीं आएगा नहीं आएगा वो किसी भी हर्फ़ ओ बयान में वो किसी नज़ीर-ओ-मिसाल में नहीं आएगा उसे ढालना है ख़याल में किसी और ढब वो शबाहत-ओ-ख़द-ओ-ख़ाल में नहीं आएगा वो जो शहसवार है तेग़-ज़न रह-ए-ज़िंदगी मिरे साथ वक़्त-ए-ज़वाल में नहीं आएगा यहाँ कौन था जो सलामती से गुज़र गया यहाँ कौन है जो वबाल में नहीं आएगा उसे लाऊँगा मैं सुकूत-ए-हर्फ़-ओ-सदा में भी वो सुख़न कभी जो सवाल में नहीं आएगा जो हैं मुंतज़िर बड़ी देर से उन्हें क्या ख़बर नहीं आएगा किसी हाल में नहीं आएगा