वो किया गया मुसल्लत मिरा हाल देखने को कि उरूज-ए-ज़िंदगानी का ज़वाल देखने को ये अजीब मसअला है मिरे उस के दरमियाँ भी वो जवाब ले के आया है सवाल देखने को तू बदल के अपना चेहरा बड़ा शादमाँ है लेकिन कोई आइना तो रख ले ख़द-ओ-ख़ाल देखने को जहाँ कल बसा हुआ था मिरा शहर अब है मलबा मुझे उस ने ज़िंदगी दी ये वबाल देखने को न तो दाद की तमन्ना न तो शोहरतों की ख़्वाहिश मिरा फ़न ही आइना है ये कमाल देखने को जो खड़ा हुआ है 'अनवर' लिए संग मेरे आगे वो है मुज़्तरिब लहू का ये उबाल देखने को