वो क्या कुछ न करने वाले थे बस कोई दम में मरने वाले थे थे गिले और गर्द-ए-बाद की शाम और हम सब बिखरने वाले थे वो जो आता तो उस की ख़ुश्बू में आज हम रंग भरने वाले थे सिर्फ़ अफ़्सोस है ये तंज़ नहीं तुम न सँवरे सँवरने वाले थे यूँ तो मरना है एक बार मगर हम कई बार मरने वाले थे