वो मेरा यार है पर मेरी मानता नहीं है वो दर्द देता है पर दर्द बाँटता नहीं है या उस को मेरी ज़बाँ की समझ नहीं आती या जान-बूझ के इस सम्त देखता नहीं है तू उस के पास कभी जा के थोड़ा वक़्त गुज़ार कि जितना तू ने सुना उतना वो बुरा नहीं है वो बोली तेरे लिए ख़ानदान क्यूँ छोड़ूँ 'वक़ार' तुझ से मिरा रिश्ता ख़ून का नहीं है