वो मिरे दिल के तलबगार नज़र आते हैं शादमानी के अब आसार नज़र आते हैं जो मिरे नाम से बेज़ार नज़र आते थे अब वही दिल के तलबगार नज़र आते हैं अब मोहब्बत के परस्तार कहाँ ऐ साक़ी सब मोहब्बत के ख़रीदार नज़र आते हैं अब के गुलशन में अजब रंग से आई है बहार शाख़-ए-गुल पर भी हमें ख़ार नज़र आते हैं हाए उम्मीद का पाबंद-ए-करम हो जाना आज हम ज़ीस्त से बेज़ार नज़र आते हैं हश्र में किस से करूँ किस की शिकायत ऐ दिल सब उसी बुत के तरफ़-दार नज़र आते हैं ख़ुद मनाने को जिन्हें रहमत-ए-हक़ आई है ऊँचे दर्जे के गुनाहगार नज़र आते हैं ये है मय-ख़ाना तो फिर आज से मेरी तौबा सब यहाँ ज़ाहिद-ओ-दीं-दार नज़र आते हैं उस की बेगाना-रवी का ये फ़ुसूँ तो देखो आज अहबाब भी अग़्यार नज़र आते हैं फिर वो माइल-ब-करम होने लगे हैं 'साहिर' फिर ग़म-ओ-रंज के आसार नज़र आते हैं