वो नज़र आईना-फ़ितरत ही सही मुझे हैरत है तो हैरत ही सही ज़िंदगी दाग़-ए-मोहब्बत ही सही आप से दूर की निस्बत ही सही तुम न चाहो तो नहीं कट सकती एक लम्हे की मसाफ़त ही सही दिल मोहब्बत की अदा चाहता है एक आँसू दम-ए-रुख़्सत ही सही आब-ए-हैवाँ भी नहीं मुझ पे हराम ज़हर की मुझ को ज़रूरत ही सही अपनी तक़दीर में सन्नाटा है एक हंगामे की हसरत ही सही इस क़दर शोर-ए-तरब क्या मा'नी जागने की मुझे आदत ही सही बज़्म-ए-रिंदाँ से तअ'ल्लुक़ कैसा आप की मेज़ पे शर्बत ही सही हद्द-ए-मंज़िल है मुक़र्रर 'बाक़ी' रहरव-ए-शौक़ को उजलत ही सही