वो पिछले मोड़ पर उस रास्ते से हट चुका था मैं आँखें बंद कर के जिस के पीछे चल रहा था तशख़्ख़ुस खो रहे थे हम बदलते पानियों से हमारा हर तना फैलाओ में हम से जुदा था मोहब्बत बीच में दीवार आने से हुई थी कि हम दोनों का क़द दीवार से थोड़ा बड़ा था किसी के इक क़दम से रास्तों ने सम्त पाई किसी की इक झलक से पूरा आईना बना था वो बातें ख़त्म होने पर ख़ुदा-हाफ़िज़ न कह दे मैं बातें करते करते ऑफ-लाइन हो गया था अंधेरा बढ़ रहा था उम्र की कच्ची सड़क पर सफ़र लाज़िम था सो रफ़्तार को कम कर दिया था वो कमरा था कि वीरानी भरा सीना था 'हारिस' वो इक कोने में बक्सा था कि दिल रक्खा हुआ था