वो तेरा मुझ से कहा हर्फ़ हर्फ़ सच निकला भला मैं कौन तिरा हर्फ़ हर्फ़ सच निकला कहा था उस ने मोहब्बत फ़रेब है दिल का वो जब भी दूर गया हर्फ़ हर्फ़ सच निकला अना-परस्ती में अपनी मिसाल आप था वो जो उस ने चाहा किया हर्फ़ हर्फ़ सच निकला नहीं है कोई शिकायत मुझे ज़माने से मुझे था जो भी गिला हर्फ़ हर्फ़ सच निकला लिखी थी उस ने मोहब्बत की बे-क़रारी और वो जो भी लिख न सका हर्फ़ हर्फ़ सच निकला नहीं हो तुम तो अज़िय्यत है कारोबार-ए-हयात ये झूट तेरा पिया हर्फ़ हर्फ़ सच निकला