वो तो बैठे रहे सर झुकाए हुए जादू उन की निगाहों के चलते रहे मुश्किलों ने बहुत राह रोकी मगर जिन को मंज़िल की धुन थी वो चलते रहे मैं उन्हें भी गले से लगाता रहा मेरे बारे में जो ज़हर उगलते रहे हम तो क़ाएम रहे अपनी हर बात पर तुम ब-रंग-ए-ज़माना बदलते रहे याद के जुगनुओं से वो आलम रहा दीप बुझते रहे दीप जलते रहे हम ने दामन न अपना भिगोया 'हफ़ीज़' दिल में तूफ़ान लाखों मचलते रहे