वो तो मैं आग जलाने से मियाँ वाक़िफ़ था वर्ना तू अपने क़बीले से कहाँ वाक़िफ़ था अंत में क्या हुआ रावी ने बताया ही नहीं यूँ कहानी से तो कहने को जहाँ वाक़िफ़ था आग में कोई बदन था कि जो आज़ाद हुआ या'नी आ'ज़ा के तनासुब से धुआँ वाक़िफ़ था रात कुत्तों ने सड़क सर पे उठा रक्खी थी और आसेब की आमद से मकाँ वाक़िफ़ था सिंड्रेला ने क़बा फाड़ के रस्सी बट ली और इस बात से बस देव का गुमाँ वाक़िफ़ था