वो उमंगें नहीं अब वो दिल-ए-नाशाद नहीं वाक़िआ' ख़्वाब सा कुछ याद है कुछ याद नहीं कौन से ज़र्रे पे दुनिया-ए-ग़म आबाद नहीं दिल-ए-बर्बाद हमारा दिल-ए-बर्बाद नहीं वो हो दुनिया कि लहद या कि हो रोज़-ए-महशर मुब्तला-ए-ग़म-ए-जानाँ कहीं आज़ाद नहीं तू जो सरगर्म-ए-तमाशा हो दम-ए-मश्क़-ए-सितम किस को फिर शौक़-ए-शहादत सितम-ईजाद नहीं पास है ज़ब्त-ए-मोहब्बत का सितमगर वर्ना इक नफ़स भी मिरा बेगाना-ए-फ़रियाद नहीं अब तो हर सम्त नज़र आते हैं जल्वे जल्वे बे-ख़ुदी में कोई पर्दा दिल-ए-नाशाद नहीं काविश-ए-दाम-ओ-क़फ़स मेरे लिए थी गोया वर्ना गुलशन है वही आज भी सय्याद नहीं ताबिश-ए-हुस्न से इक बे-ख़ुदी छाई पहले बाद उस के हुआ फिर क्या ये मुझे याद नहीं मर के 'अफ़्क़र' यहाँ मिलती है हयात-ए-जावेद आस्ताँ यार का है जन्नत-ए-शद्दाद नहीं