वफ़ा का बंदा हूँ उल्फ़त का पासदार हूँ मैं हरीफ़-ए-क़ुमरी-ओ-परवाना-ए-हज़ार हूँ मैं जुदा जुदा नज़र आती है जल्वा-ए-तासीर क़रार हो गया मूसा को बे-क़रार हूँ मैं ख़ुमार जिस से न वाक़िफ़ हो वो सुरूर हैं आप सुरूर जिस से न आगाह हो वो ख़ुमार हूँ मैं समा गया है ये सौदा अजीब सर में मिरे करम का अहल-ए-सितम से उम्मीद-वार हूँ मैं एवज़ दवा के दुआ दे गया तबीब मुझे कहा जो मैं ने ग़म-ए-हिज्र से दो-चार हूँ मैं शबाब कर दिया मेरा तबाह उल्फ़त ने ख़िज़ाँ के हाथ की बोई हुई बहार हूँ मैं क़रार-दाद-ए-गरेबाँ हुई ये दामन से कि पुर्ज़े पुर्ज़े अगर हो तो तार तार हूँ मैं मिरे मज़ार को समझा न जाए एक मज़ार हज़ार हसरत-ओ-अरमाँ का ख़ुद मज़ार हूँ मैं 'ज़हीर' ओ 'अरशद' ओ 'ग़ालिब' का हूँ जिगर-गोशा जनाब-ए-'दाग़' का तिल्मीज़ ओ यादगार हूँ मैं अमीर करते हैं इज़्ज़त मिरी हूँ वो 'साइल' गुलों के पहलू में रहता हूँ ऐसा ख़ार हूँ मैं