वालिहाना मिरे दिल में मिरी जाँ में आ जा मेरे ईमाँ में मिरे वहम-ओ-गुमाँ में आ जा मूँद इन आँखों को साहब नज़राँ में आ जा हद्द-ए-नज़्ज़ारगी-ए-कौन-ओ-मकाँ में आ जा आयत-ए-रहमत-ए-यज़्दाँ की तरह दिल में उतर एक इक लफ़्ज़ में एक एक बयाँ में आ जा तुझे सीने से लगा लूँ तुझे दिल में रख लूँ दर्द की छाँव में ज़ख़्मों की अमाँ में आ जा कुछ तो ईमा-ए-करम हो निगहा-ए-ज़ख़्म-नवाज़ अब के अबरू-ए-कशीदा की कमाँ में आ जा रौनक़-ए-जाँ न सही सूरत-ए-आसेब सही मेरे उजड़े हुए तारीक मकाँ में आ जा है तमन्ना-ए-सुकूँ दिल को तो 'क़ैसी' की तरह हल्क़ा-ए-दर्द-ए-मोहब्बत-ज़दगाँ में आ जा