मेरी ख़बर न लेना ऐ यार है तअ'ज्जुब जी से बचे जो मुझ सा बीमार है तअ'ज्जुब वादा-ख़िलाफ़ियों से तेरी है दिल में शुबहा होवे जो हश्र में भी दीदार है तअ'ज्जुब तुम कहते हो कि वो आता है पास तेरे उस यार से तो यारो बिसयार है तअ'ज्जुब हस्ती से इक नफ़स का है फ़ासला अदम तक तिस पर भी है पहुँचना दुश्वार है तअ'ज्जुब काफ़ी न था तुम्हारे अबरू का इक इशारा खींची जो आशिक़ों पर तलवार है तअ'ज्जुब सौ बार दीन-ओ-ईमाँ गुम होए तो अजब क्या टूटे जो अहद-ए-उल्फ़त इक यार है तअ'ज्जुब क्यूँकर कटेगी यारब औक़ात ग़म-ज़दों की कोई नहीं जहाँ में ग़म-ख़्वार है तअ'ज्जुब नासेह मिरा गरेबाँ सीने का फ़िक्र मत कर साबूत उस में पाना इक तार है तअ'ज्जुब पामाल दिल किए हैं आलम के हर क़दम में सीखी ये तुम ने किस से रफ़्तार है तअ'ज्जुब गाली हुई है अब तो तकिया-कलाम तेरा सीधी ज़बाँ कसू से गुफ़्तार है तअ'ज्जुब इस्लाम में ये कैसा इंकार कुफ़्र से है तस्बीह में पिरोए ज़ुन्नार है तअ'ज्जुब दीवाना है 'मुहिब' तू तेरी शिकस्ता-हाली देखे जो आँख उठा कर दिलदार है तअ'ज्जुब हर बात में जो कहिए मजबूर है क़बाहत इंसाँ को गर समझिए मुख़्तार है तअ'ज्जुब कुछ गू-मगू है यारो ये अम्र बंदगी का अफ़्कार है अचम्भा इक़रार है तअ'ज्जुब