वो झगड़े का बहाना चाहता है मुझे फिर आज़माना चाहता है वो रिश्ता यूँ निभाना चाहता है मरासिम ग़ाएबाना चाहता है अयाँ होता है ख़ामोशी के ज़रिये वही जो वो छुपाना चाहता है वो जिस ने हर क़दम सीखा है हम से वो अब हम को सिखाना चाहता है वो ज़िद्दी है किसी बच्चे की सूरत ठहरता है न जाना चाहता है जो भड़काई थी उस ने नफ़रतों से वो जुमलों से बुझाना चाहता है बहुत मासूम है महबूब मेरा कि हारे को हराना चाहता है