वो जितनी देर तलक बज़्म में रहा मिरे साथ बहुत ही अच्छा रवय्या था वक़्त का मिरे साथ जब उस ने हामी भरी साथ की यक़ीं न हुआ मैं एक दम से ये कहने लगा कि क्या मिरे साथ मैं तुझ से मिलने यही सोच कर नहीं आया कि होगा फिर मिरे दिल का मुक़ाबला मिरे साथ अगर तू चाहे मिरे साथ चल प याद रहे किसी को होता नहीं वैसे फ़ाएदा मिरे साथ तू ख़ुद ही जानता है जब सहीह और ग़लत तो भाई आया ही क्यों करने मशवरा मिरे साथ