वो जितनी ख़ुद-नुमाई कर रहा है By Ghazal << एक तो इश्क़ की तक़्सीर कि... ख़ुद अपने उजाले से ओझल रह... >> वो जितनी ख़ुद-नुमाई कर रहा है ख़ुद अपनी जग-हँसाई कर रहा है ज़रा सा जोश क्या दरिया में आया समुंदर की बुराई कर रहा है ज़रा हम ने ज़बाँ क्या बंद कर ली ज़माना लब-कुशाई कर रहा है Share on: