वो लोग जिन को है अब ख़ुद-कुशी से दिलचस्पी कभी बहुत थी उन्हें ज़िंदगी से दिलचस्पी है रस्म-ओ-राह बस अपने मफ़ाद की हद तक यहाँ कहाँ है किसी को किसी से दिलचस्पी मुआमलात किए जाएँ अब सिपुर्द उन के मुआमलात में जो लें ख़ुशी से दिलचस्पी न सम्त देखी न रस्ता अजीब आलम था हमें थी सिर्फ़ तिरी हम-रही से दिलचस्पी क़ुबूल अंधेरा ख़ुशी से कोई नहीं करता किसे नहीं है भला रौशनी से दिलचस्पी उधर झुकाओ तो होता है जा के बरसों में है जिन उमूर में तुम को अभी से दिलचस्पी 'नईम' सारे ही इंसाँ हैं लाएक़-ए-तकरीम सभी से उन्स है हम को सभी से दिलचस्पी