वो मेरा दर्द-ए-दिल क्या जानते हैं तड़पने को तमाशा जानते हैं बहार-ए-गुल है ख़ार आँखों में तुझ बिन चमन को हम तो सहरा जानते हैं कहें क्या हाल-ए-दिल अपना बुतों से जो है दिल में तमन्ना जानते हैं सताना क़त्ल करना फिर जलाना वो बे-तालीम क्या क्या जानते हैं मलें हम क्यूँ न आँखें बर्ग-ए-गुल से इसे तेरा कफ़-ए-पा जानते हैं रक़ीबों पर सितम इतना न कीजे उन्हें भी आप हम सा जानते हैं यहाँ तक इज्ज़ के ख़ूगर हैं 'ग़ाफ़िल' बुरों को भी हम अच्छा जानते हैं