वो मेरा दोस्त है और मुझ से वास्ता भी नहीं जो क़ुर्बतें भी नहीं हैं तो फ़ासला भी नहीं किसे ख़बर थी कि उस दश्त से गुज़रना है जहाँ से लौट के आने का रास्ता भी नहीं कभी जो फूट के रो ले तो चैन पा जाए मगर ये दिल मिरे पैरों का आबला भी नहीं सुना है वो भी मिरे क़त्ल में मुलव्विस है वो बेवफ़ा है मगर इतना बेवफ़ा भी नहीं वो सो सका न जिसे छीन कर कभी मुझ से मैं उस ज़मीन के बारे में सोचता भी नहीं सुना था शहर में हर सू तुम्हारा चर्चा है यहाँ तो कोई 'नफ़स' तुम को जानता भी नहीं