वो तुझ को तोड़ के मिस्ल-ए-हबाब कर देगा तिरा ग़ुरूर तुझे आब आब कर देगा ठहर सकेगी कहाँ शबनमी गुहर की चमक बस इक नज़र में फ़ना आफ़्ताब कर देगा कभी तो फैलेगी बाग़-ए-हयात में ख़ुशबू गुलाब खिल के फ़ज़ा को गुलाब कर देगा रुख़-ए-फ़रेब पे ठहरेगी क्या नक़ाब-ए-फ़रेब तिरा फ़रेब तुझे बे-नक़ाब कर देगा न रास आएगी ताबीर-ए-ख़्वाब-ए-मुस्तक़बिल ये वक़्त ख़्वाब के मंज़र को ख़्वाब कर देगा दिखा के चेहरा-ए-माज़ी के ख़द्द-ओ-ख़ाल तुझे सवाल-ए-दौर-ए-रवाँ ला-जवाब कर देगा जहाँ को देगी जो 'कौसर' पयाम-ए-अम्न-ओ-अमाँ अदीब-ए-वक़्त रक़म वो किताब कर देगा