याद आएँगे ज़माने को मिसालों के लिए जैसे बोसीदा किताबें हों हवालों के लिए देख यूँ वक़्त की दहलीज़ से टकरा के न गिर रास्ते बंद नहीं सोचने वालों के लिए आओ ता'मीर करें अपनी वफ़ा का मअ'बद हम न मस्जिद के लिए हैं न शिवालों के लिए सालहा-साल अक़ीदत से खुला रहता है मुनफ़रिद राहों का आग़ोश जियालों के लिए रात का कर्ब है गुलबाँग-ए-सहर का ख़ालिक़ प्यार का गीत है ये दर्द उजालों के लिए शब-ए-फ़ुर्क़त में सुलगती हुई यादों के सिवा और क्या रक्खा है हम चाहने वालों के लिए