याद जब आया कोई बिछड़ा हुआ ज़ख़्म दिल का और भी गहरा हुआ हम भी अपने वक़्त के बिगड़े हुए वो भी अपने वक़्त का टूटा हुआ टूटना था दिल पराए हाथ से आप से टूटा चलो अच्छा हुआ दोस्ती-ओ-महर-ओ-ईसार-ओ-वफ़ा इन सराबों पर मुझे धोका हुआ आप क़ीमत क्यों लगाते हैं मिरी मैं कोई सौदा नहीं बिकता हुआ मैं तो इतना जानता हूँ बस 'असर' जो हुआ मेरे लिए अच्छा हुआ