यार आया है अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार दिखाओ ईसा को ज़रा हालत-ए-बीमार दिखाओ आ जाओ बस अब राह न ऐ यार दिखाओ मुश्ताक़ हूँ मुश्ताक़ हूँ दीदार दिखाओ आलम है सो है हिज्र में याँ जोश-ए-जुनूँ का सहरा मुझे दिखलाओ कि गुलज़ार दिखाओ फ़रदा-ए-क़यामत का न इक़रार करो जाँ लो हश्र सही आज ही दीदार दिखाओ आशिक़ हैं बहुत एक तो चुन कर कोई मुझ सा पुश्ते की तरह पुश्त-ब-दीवार दिखाओ आलम नज़र आ जाए बहार और ख़िज़ाँ का हम ज़र्द हों तुम फूल से रुख़्सार दिखाओ तलवार लगाओ मुझे गोली से न मारो तिल ढाँक लो और अबरू-ए-ख़मदार दिखाओ हर दम मुतक़ाज़ी है यही हसरत-ए-दीदार फिर एक नज़र जल्वा-ए-दिलदार दिखाओ फ़रमाते हो आशिक़ हैं मिरे तुझ से हज़ारों ऐ जान ज़ियादा नहीं दो-चार दिखाओ इश्क़ अबरू ओ मिज़्गाँ का बुतो साथ है दम के ख़ंजर मुझे दिखलाओ कि तलवार दिखाओ मैं क़ब्र से भी 'रिन्द' यही कहता उठूँगा मुश्ताक़ हूँ मुश्ताक़ हूँ दीदार दिखाओ