यार मेरा मियान-ए-गुलशन है ग़र्क़-ए-ख़ूँ फूल ता-ब-दामन है दिल लुभाता है सब का वो साजन दिल-फ़रेबी में उस को क्या फ़न है तारे जिऊँ दर है जिस के हल्क़ा-ब-गोश वो बिना गोश सुब्ह-ए-रौशन है उस नज़ारे से सब शहीद हुए वो नयन क्या बला-ए-रह-ज़न है क्या बयाँ कर सकूँ मैं गत उस की 'फ़ाएज़' अत ख़ुश-अदा सिरीजन है