यार ने इस दिल-ए-नाचीज़ को बेहतर जाना दाग़ को फूल तो क़तरे को समुंदर जाना कट गए देखते ही हम तो तिरी चश्म-ए-ग़ज़ब जुम्बिश-ए-अबरू-ए-ख़मदार को ख़ंजर जाना सच है यकसाँ है अदम और वजूद-ए-दुनिया ऐसे होने को न होने के बराबर जाना आँख हम बादा-कशों से न मिला ऐ जमशेद अपने चुल्लू को तिरे जाम से बढ़ कर जाना कब ज़माने में है मोहताज-ए-मकाँ ख़ाना-ख़राब हो गई दिल में किसी के जो जगह घर जाना समझे 'जौहर' को बुरा उस की शिकायत क्या है वही अच्छा है जिसे आप ने बेहतर जाना