यही अच्छा है जो इस तरह मिटाए कोई By Ghazal << लड़ ही जाए किसी निगार से ... इस बहर-ए-बे-सदा में कुछ औ... >> यही अच्छा है जो इस तरह मिटाए कोई आप भी फिर मुझे ढूँडे तो न पाए कोई कौंदती बर्क़ न देती हो जहाँ फ़ुर्सत-ए-दीद ताब क्या है जो वहाँ आँख उठाए कोई बंदिशें इश्क़ में दुनिया से निराली देखें दिल तड़प जाए मगर लब न हिलाए कोई Share on: