यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं ये दर्द तुम ने दिया है तो कोई बात नहीं यही बहुत है कि तुम देखते हो साहिल से सफ़ीना डूब रहा है तो कोई बात नहीं ये फ़िक्र है कहीं तुम भी न साथ छोड़ चलो जहाँ ने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं तुम्ही ने आइना-ए-दिल मिरा बनाया था तुम्ही ने तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं किसे मजाल कहे कोई मुझ को दीवाना अगर ये तुम ने कहा है तो कोई बात नहीं