यक़ीन हद से बढ़ा था गुमान से पहले जबीं पे ज़ख़्म सजा था निशान से पहले उसे भुलाने के रस्ते में कितनी यादें थीं शदीद धूप मिली साएबान से पहले फिर उस के बा'द हवाओं से जंग करता रहा दिया जला था बड़ी आन-बान से पहले मिरे ख़िलाफ़ मुक़ाबिल न था मुनाफ़िक़ था जवाब ढूँढ रहा था बयान से पहले नतीजा उस के ही हक़ में है अब मोहब्बत का जो साथ छोड़ गया इम्तिहान से पहले चराग़-ए-शाम की सूरत में उस की याद आई अंधेरे फैलते जाते थे शान से पहले तमाम शहर ने इज़्ज़त उसी से हासिल की जो रस्म आई हमारे मकान से पहले दयार-ए-जाँ पे भी कुछ बारिश-ए-करम हो जाए बसाओ दिल भी किसी का मकान से पहले शिकस्ता दिल के लिए थे जो आसरा 'आदिल' वो तारे टूट गए आसमान से पहले