यक़ीं मानो ये मेरे होंट यूँ नीले नहीं होते अगर ये लोग साँपों से भी ज़हरीले नहीं होते अगर हर बात पर मैं इन की हाँ में हाँ मिला देता मिरे यारों के लहजे इतने नोकीले नहीं होते कोई तो बात ऐसी है जिसे हम से छुपाते हो ये पलकों के किनारे बे-सबब गीले नहीं होते अगर मैं हक़-परस्ती छोड़ कर बातिल से मिल जाता मिरे रस्तों में फूल होते ये पथरीले नहीं होते सितारों पर कमंदें डालने का क्या कोई सोचे यहाँ तो बेटियों के हाथ ही पीले नहीं होते मैं इक पल में बनाता हूँ अनाओं के पहाड़ 'अज़हर' पर अगले पल ये सारे रेत के टीले नहीं होते