यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया रात भर ताले-ए-बे-दार ने सोने न दिया ख़ाक पर संग-ए-दर-ए-यार ने सोने न दिया धूप में साया-ए-दीवार ने सोने न दिया शाम से वस्ल की शब आँख न झपकी ता-सुब्ह शादी-ए-दौलत-ए-दीदार ने सोने न दिया एक शब बुलबुल-ए-बेताब के जागे न नसीब पहलु-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने ना दिया रात भर की दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से रंज-ओ-मेहनत के गिरफ़्तार ने सोने न दिया सच है ग़म-ख़्वारी-ए-बीमार अज़ाब-ए-जाँ है ता-दम-ए-मर्ग दिल-ए-ज़ार ने सोने न दिया तकिया तक पहलू में उस गुल ने न रक्खा 'आतिश' ग़ैर को साथ कभी यार ने सोने न दिया