यार ये इत्तिफ़ाक़ तो देखो उस को ही देखता है जो देखो काश कोई मुझे हिला के कहे देखो वो आ रहा है वो देखो तीरगी से बहुत शिकायत थी अब ज़रा देर शम्स को देखो देखना चाहते हो अपना रक़ीब आइना दे रहा हूँ लो देखो ख़ूबसूरत दिखाई देती है गर यही रात सुब्ह को देखो शौक़ से देखो हुस्न-ए-यार मगर फिर न कुछ देखना हो तो देखो